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राजलक्ष्मी अपने मन में न जाने क्या सोचने लगी, फिर सहसा कह उठी- “देखो, इस सुनन्दा के जैसे अच्छी, निर्लोभ और सत्यवादी और कोई दूसरी औरत मैंने नहीं देखी, पर जब ...